Sunday, February 21, 2010

जय राम जी की!

प्रिय पाठकों!

काफी दिनों से इच्छा थी कि मैं भी 'ब्लॉगबाजी' की जंग में शामिल हो जाउं। दरअसल कशमकश इस बात को लेकर थी कि ब्लॉग बना भी लूं तो उसमें लिखूंगा क्या। इंटरनेट की अनंत दुनिया। उसमें ब्लॉगबाजों की जबर्दस्त भीड़। इस भीड़ में भी बड़े- बड़े नाम। जिनके बारे में पढ़ने के लिए लोगों में होड़ होती है। मीडिया जिनके ब्लॉगों में लिखी बातों को बढ़कर बढि़या खबरें बना लेता है। ऐसी जंग में मेरे जैसा अदना आदमी क्या हैसियत रखता है, जो मैं ब्लॉग-व्लॉग का चक्कर पालूं। ये उधेड़बुन कई महीने चलती रही।

इस बीच मेरे कई मित्रों ने अपने- अपने ब्लॉग बना लिए और मुझे सीना तानकर बताने लगे कि भइया हम भी ब्लॉगियर हो गये हैं। ऐसे - ऐसे लोग जो शायद हिन्दी या अंग्रेजी में सही- सही 'ब्लॉग' शब्द न लिख सकें। ऐसे- ऐसे मूर्धन्यों ने जब ब्लॉग बना लिए तो मैंने सोचा कि कमल किशोर सक्सेना अगर तुम बिना ब्लॉग बनाये मर गये तो तुम्हारा ये जन्म तो गया ही। अगले पर भी खतरा है क्योंकि जब तक तुम्हारी पीढ़ी के पुनर्जन्म लेने का नंबर आयेगा, तब तक शायद भगवान भी अपने एसाइनमेंट ब्लॉग से करने लगें। बस ये ख्याल आते ही मैंने उठाया कम्प्यूटर का माउस और थोड़ी देर तिडि़क-तड़ाक करने के बाद एक ब्लॉग गढ़ डाला। ईश्वर आपको मेरा ब्लॉग झेलने की शक्ति दे।

चिंता न करें।

समय-समय पर मुलाकात होती रहेगी।

फिर मिलेंगे किसी दिन!

No comments:

Post a Comment