Wednesday, April 7, 2021

दारू पदावली (सरलार्थ) ------------------

नोट : इस पदावली में मूल पद ना देकर केवल उनका भावार्थ दिया जा रहा है। इन्हें पढ़कर पाठकगण मूल पदों का स्वयं अंदाज़ लगा लें। (1) कवि कहता है - दारू की दुकानें खुल गई हैं। ये देखकर पियक्कड़ जन उसी प्रकार आनंदित हैं, जैसे कोई टुच्चा चार जगह से जुड़ा नोट चलाकर होता है। जैसे टीचर की नानी मरने के कारण अचानक स्कूल में छुट्टी हो जाने से होमवर्क ना करने वाला बच्चा होता है। जैसे चौराहे पर मुर्गा बना सीनियर लाकडाउन तोड़क जूनियर को मुर्गत्व प्राप्त होता देखकर होता है। (2) डेढ़ माह की जुदाई के बाद मयखानों का घूंघट उठा है। अरमानों की बारात लिए दारूबाज लाइन में खड़े हैं। उन्हें ना आंधी डिगा पा रही है और ना बेमौसम बरसात। सच्चे सुरा प्रेमियों की यही पहचान है। उन्हें गर्व भी है कि मुसीबत से भरे इस कोरोना काल में उन्हें डूबती अर्थव्यवस्था को उबारने लायक समझा गया। ऐसे देशभक्तों की जितनी भी सराहना की जाए, कम है। ऐसे देश रत्नों को सुराश्री, सुराभूषण और सुरा रत्न जैसे पुरस्कारों से नवाजा जाना चाहिए। (3) एक ब्योड़ा दूसरे ब्योडे से कहता है - भगवान के घर देर है लेकिन अंधेर नहीं। आखिर हमारी डेढ़ महीने की तपस्या रंग ले ही आई... मयखाना खुला। सच्चे मन से किया गया पुरुषार्थ व्यर्थ नहीं जाता। क्वार्टर, अद्धे, बोतल या पाउच की शक्ल में वापस आता है। इसलिए हे सुरापति! अपने तप की शक्ति पहचान। एक सांस में पूरा अध्धा खींचने के बाद साथी मयवीर जवाब देता है - तेरी मां का टना ... कहां है कोरोना। कैसा है कोरोना। जरा सामने तो आ ना। (4) कवि अपना चौथा पैग बनाते हुए आगे कहता है - नाली में पड़ा ...कीचड़ से सराबोर दारूबाज श्वान से भी श्रेष्ठ होता है क्योंकि श्वान सुरा से रीता होता है। दारूबाज सड़क पर भी गिरता है तो घोड़े पर सवार होकर। ऐसे नशा शिरोमणि के आगे संसार के सारे वाहन नतमस्तक हैं। वे अभिनंदनीय हैं...प्रशंसनीय हैं...अनुकरणीय है। नशे में टुन्न दारूबाज के सुख की कल्पना कोई नहीं कर सकता। ये संसार का सर्वोत्तम सुख है। (5) एक सखी दूसरी सखी से कहती है - हमारे परमेश्वर अच्छा भला झाडू - पोंछा कर रहे थे ... डांट डपट भी सुनने की आदत डाल लिये थे। मगर ठेका खुल गया। सरकार बेवफा निकली। खुद स्त्रीलिंग होकर भी महिलाओं का साथ ना दिया। दूसरी सखी मुंह से आग की लपटें निकालकर जवाब देती है - सच कहा तुमने लेकिन अगर मेरे सांवरिया ने अब पुराने तेवर दिखाए तो कसम लाकडाउन की... चौराहे के पुलिस वाले के हवाले कर दूंगी और कह दूंगी कि मुआ बहुत खांसता है ... ले जाओ अस्पताल। डाल दो चार - छह साल के क्वारांटिंन में। कमल किशोर सक्सेना

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